आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "سیلاب_بلا"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "سیلاب_بلا"
ग़ज़ल
कितने सैलाब-ए-बला झेल चुके हैं हम लोग
अब किसी शोरिश-ए-अमवाज से डरने के नहीं
ज़फ़र अहमद सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
अब के सैलाब-ए-बला सब कुछ बहा कर ले गया
अब न ख़्वाबों के जज़ीरे हैं न दिल की कश्तियाँ
मोहसिन ज़ैदी
ग़ज़ल
एक तूफ़ान-ए-ज़िया हूँ अंधे हो जाते हैं लोग
एक सैलाब-ए-बला हूँ जिस के घर जाता हूँ मैं