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ग़ज़ल
जो तख़्त-ओ-ताज के मालिक हैं क्या वो मो'तबर भी हैं
शर-अंगेज़ी में डूबी हुक्मरानी का तमाशा कर
अरमान नज्मी
ग़ज़ल
उन के जल्वे की ज़रा देखो असर-अंगेज़ी
उन की आमद हुई और शहर-ए-बुताँ टूट गया
सय्यद ख़ादिमे रसूल ऐनी
ग़ज़ल
गुल-ओ-लाला से शोर-अंगेज़-तर हैगी हिना तेरी
न हो दीवाना क्यूँ कर देख तेरे दस्त-ओ-पा कोई
इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन
ग़ज़ल
शाम-ए-शोर-अंगेज़ ये सब क्या है बे-हद्द-ओ-हिसाब
इतनी आवाज़ें नहीं दुनिया में जितना शोर है
शाहीन अब्बास
ग़ज़ल
शिकार-ए-शे'र-शोर-अंगेज़ उन के हाथ आ जाए
इसी ज़िद में हरीफ़ों से ग़ज़ल-रानी हुई होगी
परवेज़ रहमानी
ग़ज़ल
ठहर ऐ मौज-ए-शोर-आगीं-ओ-शोर-अंगेज़-ओ-शोर-अफ़ज़ा
अभी इक बात कहनी है मुझे यारान-ए-साहिल से
शाहिद सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
ज़ेहन पर छा गई मौत की बे-हिसी नींद आने लगी
ढूँढता हूँ अँधेरों में आसूदगी नींद आने लगी