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ग़ज़ल
फ़ना निज़ामी कानपुरी
ग़ज़ल
ठहरो तेवरी को चढ़ाए हुए जाते हो किधर
दिल का सदक़ा तो अभी सर से उतर जाने दो
मियाँ दाद ख़ां सय्याह
ग़ज़ल
पुरनम इलाहाबादी
ग़ज़ल
ग़ुरूर-ए-हुस्न का सदक़ा कोई जाता है दुनिया से
किसी की ख़ाक में मिलती जवानी देखते जाओ
फ़ानी बदायुनी
ग़ज़ल
'राज़' ये ग़ज़ल अपनी इक हसीं का सदक़ा है
शे'र भी अनोखे हैं हैं तर्ज़ भी निराली है
राज़ इलाहाबादी
ग़ज़ल
बेदम शाह वारसी
ग़ज़ल
बढ़ गई मय पीने से दिल की तमन्ना और भी
सदक़ा अपना साक़िया यक जाम-ए-सहबा और भी
मुंशी अमीरुल्लाह तस्लीम
ग़ज़ल
वो सैर को जो आए तो सदक़े में उन को 'बर्क़'
हर एक गुल ने ताइर-ए-निकहत उड़ा दिया