aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँबाज़ार से गुज़रा हूँ ख़रीदार नहीं हूँ
तिरा हम ने जिस को तलबगार देखाउसे अपनी हस्ती से बे-ज़ार देखा
हर तलबगार को मेहनत का सिला मिलता हैबुत हैं क्या चीज़ कि ढूँढे से ख़ुदा मिलता है
मेरी इनायतों के तलबगार आ गएरहमत पुकार उट्ठी गुनहगार आ गए
चाँद छूने की तलबगार नहीं हो सकतीक्या मिरी ख़ाक चमकदार नहीं हो सकती
यूँ सुकूनत की तलबगार हुई जाती हैज़िंदगी साया-ए-दीवार हुई जाती है
साक़ी तिरे साग़र के तलबगार बहुत हैंमय कम है मगर बज़्म में मय-ख़्वार बहुत हैं
यूँ तलबगार हो गया है दिलसमझो बीमार हो गया है दिल
बैसाखियों के जब से तलबगार हो गएहम आप अपनी राह की दीवार हो गए
दौलत के और होंगे तलबगार दोस्तोहम हैं मता'-ए-ग़म के ख़रीदार दोस्तो
माँझी तिरी कश्ती के तलबगार बहुत हैंकुछ लोग हैं इस पार तो उस पार बहुत हैं
दुनिया सभी बातिल की तलबगार लगे हैजिस रूह को देखो वही बीमार लगे है
दिल है मुश्ताक़ जुदा आँख तलबगार जुदाख़्वाहिश-ए-वस्ल जुदा हसरत-ए-दीदार जुदा
टूटे हुए ख़्वाबों के तलबगार भी आएऐ जिंस-ए-गिराँ तेरे ख़रीदार भी आए
रौशनी के जो तलबगार हुए हम दोनोंएक सूरज के ख़रीदार हुए हम दोनों
कब रिहाई के तलबगार थे हम भी तुम भीजब मोहब्बत में गिरफ़्तार थे हम भी तुम भी
तेरे होंठों के तबस्सुम का तलबगार हूँ मैंअपने ग़म बेच दे रद्दी का ख़रीदार हूँ मैं
वो मिरे दिल के तलबगार नज़र आते हैंशादमानी के अब आसार नज़र आते हैं
ख़ुद को इतना भी तलबगार नहीं करना थाबात करनी थी मगर प्यार नहीं करना था
साहिल के तलबगार भी क्या ख़ूब रहे हैंकहते थे न डूबेंगे मगर डूब रहे हैं
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