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ग़ज़ल
अल्लाह अगर तौफ़ीक़ न दे इंसान के बस का काम नहीं
फ़ैज़ान-ए-मोहब्बत आम सही इरफ़ान-ए-मोहब्बत आम नहीं
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
दुनिया को इरफ़ान-ए-मोहब्बत देने वालों में 'हैरत'
जाने कितने लोग हैं जिन को अपने आप से नफ़रत है
बलराज हैरत
ग़ज़ल
एतबार-ए-आरज़ू का कर्र-ओ-फ़र जाता रहा
दिल से इरफ़ान-ए-मोहब्बत का असर जाता रहा
लक्ष्मी नारायण फ़ारिग़
ग़ज़ल
अगर इरफ़ान-ए-हस्ती उक़्दा-ए-मुश्किल नहीं होता
तो फिर इंसानियत का कोई मुस्तक़बिल नहीं होता
इफ़्तिख़ार अहमद सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
जो सालिक है तो अपने नफ़्स का इरफ़ान पैदा कर
हक़ीक़त तेरी क्या है पहले ये पहचान पैदा कर