आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "فریب"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "فریب"
ग़ज़ल
जो मुनकिर-ए-वफ़ा हो फ़रेब उस पे क्या चले
क्यूँ बद-गुमाँ हूँ दोस्त से दुश्मन के बाब में
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
हुस्न-ए-नज़र-फ़रेब में किस को कलाम था मगर
तेरी अदाएँ आज तो दिल में समा के रह गईं
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
वो फ़रेब-ख़ुर्दा शाहीं कि पला हो करगसों में
उसे क्या ख़बर कि क्या है रह-ओ-रस्म-ए-शाहबाज़ी
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
ज़हे करिश्मा कि यूँ दे रक्खा है हम को फ़रेब
कि बिन कहे ही उन्हें सब ख़बर है क्या कहिए