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ग़ज़ल
صدائے لن تراني سن کے اے اقبال ميں چپ ہوں
تقاضوں کي کہاں طاقت ہے مجھ فرقت کے مارے ميں
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
अरिनी ओ लन-तरानी का सब राज़ खुल गया
क्या नश्शा-ए-ग़रीब है शर्ब-उल-यहूद में
पंडित जवाहर नाथ साक़ी
ग़ज़ल
कुछ तबस्सुम ज़ेर-ए-लब पर शर्म दामन-गीर है
उफ़ ये किस आलम में खिंचवाई हुई तस्वीर है
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
लन-तरानी जल्वा-ए-जानाँ तिरी अच्छी नहीं
मैं कोई मूसा नहीं हूँ तूर की बातें न कर
मुज़्तर ख़ैराबादी
ग़ज़ल
इश्क़ में अहल-ए-वफ़ा कितने अज़िय्यत-कोश हैं
ख़ून दिल का हो रहा है लब मगर ख़ामोश हैं
फ़ना बुलंदशहरी
ग़ज़ल
वुफ़ूर-ए-शौक़ मेरा माने-ए-दीदार था वर्ना
झलक थी ख़ुद-नुमाई की सदा-ए-लन-तरानी में
अब्बास अली ख़ान बेखुद
ग़ज़ल
आप उलटते हैं वो पर्दा वो कहानी अब कहाँ
आशिक़ों से गुफ़्तुगू है लन-तरानी अब कहाँ
आग़ा हज्जू शरफ़
ग़ज़ल
सदा-ए-लन-तरानी आती है उन के तकल्लुम से
गिरा दें तूर-ए-दिल पर साइक़ा बर्क़-ए-तबस्सुम से