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ग़ज़ल
फ़ना बुलंदशहरी
ग़ज़ल
चार दिन के लिए दुनिया में लड़ाई कैसी
वो भी क्या लोग हैं आपस में शरर रखते हैं
लाला माधव राम जौहर
ग़ज़ल
हर एक खाने से पहले झगड़ा खिलाएगा कौन पहले लुक़्मा
हमारे घर में तो ऐसी बातों से ही लड़ाई पड़ी रहेगी
आमिर अमीर
ग़ज़ल
लड़ाई से यूँही तो रोकते रहते हैं हम तुम को
कि दिल का भेद कह देती है तुम चाहो जिधर देखो