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ग़ज़ल
क़मर जलालवी
ग़ज़ल
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
धोता हूँ जब मैं पीने को उस सीम-तन के पाँव
रखता है ज़िद से खींच के बाहर लगन के पाँव
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
एक लगन की बात है जीवन एक लगन ही जीवन है
पूछ न क्या खोया क्या पाया क्या जीते क्या हार गए
हबीब जालिब
ग़ज़ल
सबा अफ़ग़ानी
ग़ज़ल
मजरूह सुल्तानपुरी
ग़ज़ल
सय्यद शकील दस्नवी
ग़ज़ल
मिरा दिल मिस्ल परवाने के था मुश्ताक़ जलने का
लगी उस शम्अ सूँ आख़िर लगन आहिस्ता-आहिस्ता