कहीं एक मासूम नाज़ुक सी लड़की मरे ज़िक्र पर झेंप जाती तो होगी
हया-बार आँखों में सपने सजाए वो कुछ सोच कर मुस्कुराती तो होगी
मिरे शेर पढ़ कर अकेले में अक्सर इन्हें ज़ेर-ए-लब गुनगुनाती तो होगी
मिरे नाम फिर कुछ वो लिखने की ख़ातिर क़लम बे-इरादा उठाती तो होगी
हसीं चाँदनी हो या सावन की रुत हो कसक उस के दिल में जगाती तो होगी
किसी के तसव्वुर को पहलू में पा कर वो शरमा के ख़ुद कसमसाती तो होगी
मुझे पा के बज़्म-ए-तसव्वुर में तन्हा वो पलकों की चिलमन गिराती तो होगी
बड़े प्यार से फिर बहुत ही लगन से वो ख़्वाबों की दुनिया सजाती तो होगी
वो मासूम तन्हा परेशाँ सी लड़की उसे याद मेरी सताती तो होगी
निगाहों के बादल बरसते जो होंगे वो छुप-छुप के आँसू बहाती तो होगी
किसी की हसीं शोख़ आँखों में यारो मिरी याद में झिलमिलाती तो होगी
सहेली को तस्वीर मेरी दिखा कर वो शरमा के ख़ुद झेंप जाती तो होगी
वो बन कर सँवर कर अकेले में अक्सर 'शकील' इक क़यामत जगाती तो होगी
तसव्वुर में मुझ को क़रीब अपने पा कर वो शीशे से नज़रें चुराती तो होगी
स्रोत :
- पुस्तक : Tanha Tanha (पृष्ठ 21)
- रचनाकार : Sayed Shakeel Desnavi
-
प्रकाशन : Adshot Publications,
(1989)
- संस्करण : 1989
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