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ग़ज़ल
परेशाँ-हाल है पब्लिक मगर दोनों ममालिक के
मिरासी क्रिकेटर फ़िल्मी-सितारे एक जैसे हैं
खालिद इरफ़ान
ग़ज़ल
आमिर अमीर
ग़ज़ल
मिरी ज़िंदगी के मालिक मिरे दिल पे हाथ रखना
तिरे आने की ख़ुशी में मिरा दम निकल न जाए
अनवर मिर्ज़ापुरी
ग़ज़ल
हर मज़हब का एक ही कहना जैसा मालिक रक्खे रहना
जब तक साँसों का बंधन है जीते जाओ सोचो मत
निदा फ़ाज़ली
ग़ज़ल
दिलबर हैं अब दिल के मालिक ये भी एक ज़माना है
दिल वाले कहलाते थे हम वो भी एक ज़माना था
बेदम शाह वारसी
ग़ज़ल
इस वीरान-सरा की मालिक एक पुरानी ख़ामोशी
आवाज़ें देती रहती है मेहमानो! चुप हो जाओ