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ग़ज़ल
मुन्नी की भोली बातों सी चटकीं तारों की कलियाँ
पप्पू की ख़ामोशी शरारत सा छुप छुप कर उभरा चाँद
निदा फ़ाज़ली
ग़ज़ल
बड़े बड़े सपने नहीं बोए मैं ने अपने आँगन में
नन्ही मुन्नी ख़ुशियाँ हैं मिरी छोटी सी इक जन्नत है
ऐतबार साजिद
ग़ज़ल
अदू के कहने से मुझ को ज़लील-ओ-ख़्वार किया
सज़ा ये उस की है मैं ने जो तुम को प्यार किया
मुन्नी बाई हिजाब
ग़ज़ल
ये ख़त में मुन्नी के पापा ने आज लिक्खा है
जो तुम नहीं तो अजब ज़िंदगी लगे है मुझे
साजिद सजनी लखनवी
ग़ज़ल
देते हैं छेड़ छेड़ के क्यूँ मुझ को गालियाँ
समझे हुए हैं वो मिरे मुँह में ज़बान नहीं
मुन्नी बाई हिजाब
ग़ज़ल
नन्ही-मुन्नी कोंपलों को रंग-ओ-निकहत चाहिए
कुछ हवा का ख़ौफ़ कुछ मौसम की दिलदारी करूँ
अब्दुर्रहीम नश्तर
ग़ज़ल
पुर-समर शाख़ को है सर का झुकाना अच्छा
छोड़ दे अपने से ये मा-ओ-मनी ख़ूब नहीं