आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "مکتوب"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "مکتوب"
ग़ज़ल
वो मुंकिर है तो फिर शायद हर इक मकतूब-ए-शौक़ उस ने
सर-अंगुश्त-ए-हिनाई से ख़लाओं में लिखा होगा
जौन एलिया
ग़ज़ल
शाद अज़ीमाबादी
ग़ज़ल
खुलेगा किस तरह मज़मूँ मिरे मक्तूब का या-रब
क़सम खाई है उस काफ़िर ने काग़ज़ के जलाने की
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
मेरी नज़रों से जो इक बार न पहुँचा तुझ तक
फिर वो मक्तूब दोबारा नहीं लिक्खा मैं ने
रज़ी अख़्तर शौक़
ग़ज़ल
नामा-बर दिल की तसल्ली के लिए भेजूँ हूँ
वर्ना अहवाल मिरा क़ाबिल-ए-मक्तूब न था