आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "مکران"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "مکران"
ग़ज़ल
जिन अश्कों की फीकी लौ को हम बे-कार समझते थे
उन अश्कों से कितना रौशन इक तारीक मकान हुआ
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "مکران"
जिन अश्कों की फीकी लौ को हम बे-कार समझते थे
उन अश्कों से कितना रौशन इक तारीक मकान हुआ