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ग़ज़ल
नाक़ा-गर गुम न करे राह तो ख़ुद रेग-ए-रवाँ
उस्तुख़्वाँ रेज़ा-ए-मजनूँ का निशाँ देता है
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
ग़ज़ल
नामा-ए-गुल में किसी शोख़ की तहरीर का रंग
दिल-ए-पुर-ख़ूँ की उभरती हुई तस्वीर का रंग
मुख़तार शमीम
ग़ज़ल
हातिम अली मेहर
ग़ज़ल
بن میں کہیں نہ ناقۂ لیلیٰ کو گم کرو
رکھو نگہ کے ہاتھ میں اپنی زمام چشم
शाह ज़ियाउद्दीन अल-हुसैनी प्रवाना बुरहानपुरी
ग़ज़ल
क़ुर्बानी-ए-इंसाँ का नहीं शौक़ गर उस को
फिर ईद के दिन क्यों मुझे ज़िंदाँ से निकाला
करामत अली शहीदी
ग़ज़ल
ये किस से चाँदनी में हम ब-ज़ेर-ए-आसमाँ लिपटे
कि बाहम अर्श पर मारे ख़ुशी के क़ुदसियाँ लिपटे
इंशा अल्लाह ख़ान इंशा
ग़ज़ल
पस-ए-क़ाफ़िला जो ग़ुबार था कोई उस में नाक़ा-सवार था
अभी गर्द-बाद हो उड़ गया वो अजब तरह का ग़ुबार था