aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "نا_بلد"
फ़नकार और फ़न के तक़ाज़ों से ना-बलदएहसास-ए-कमतरी है तो लड़ जाना चाहिए
उस ने ही दी सज़ा मुझे सहरा की धूप मेंमेरे बदन की छाँव से जो ना-बलद हुआ
मैं निचोड़ा जा चुका निकले न बल तक़दीर केकितने गहरे हल्क़े हैं अल्लाह इस ज़ंजीर के
ये सोच कर कि तेरी जबीं पर न बल पड़ेबस दूर ही से देख लिया और चल पड़े
'ज़ेब' आँखें ना बंद करता अगरख़ौफ़ अंदर उतरने वाला था
मोहब्बत याद दिलवाती है नानीकहा था ना बला से दूर रहना
हमारे वास्ते इतना करम ही काफ़ी हैहमारा नाम ब-सद-एहतिराम लिख देना
इक एक हर्फ़ मिरा इंतिसाब तेरे नामबला से हाशिए में गर कहीं हवाला नहीं
इश्क़ उन की अक़्ल को है जो मा-सिवा हमारेनाचीज़ जानते हैं ना-बूद जानते हैं
मर्द-ए-हक़ का रहे दुनिया में अलम-ए-नाम बुलंदनहीं मंसूर अगर दार सलामत बाशद
पसरव-ए-अहमद हो कि मरना है कलराह न दीदा को बलद चाहिए
न बुला लाए मुझ सा दीवानासंगसार-ए-जहाँ को क्यूँ छेड़ा
लिख तो लेते हैं तिरा नाम ब-सद शौक़ मगरक्या कभी रेत पे लिक्खा हुआ रह जाता है
दूर फेंका न बा'द-ए-मुर्दन भीपास अपने बुला लिया तू ने
अभी न बंद करो मक़्तलों के दरवाज़ेअभी इक और मसीहा यहाँ से गुज़रेगा
जिस ने कभी ख़ुलूस भी माँगा न हो तिराइस अहल-ए-दिल का नाम ब-सद-एहतिराम ले
हुआ जब टूटना अबतर नवा बे-सूद शीशे काउठा शहर-ए-क़ज़ा में मुद्दआ' ना-बूद शीशे का
पता चला कोई गिर्दाब से गुज़रते हुएन बंद होते हुए बाब से गुज़रते हुए
रहा न बा'द मिरे हाए कोई आबला-पापुकारते हैं ये काँटे ज़बान सूख गई
मय्यत उठाने कोई भी आया न बा'द-ए-मर्गसुनते थे ज़िंदगी में मिरी बात सैंकड़ों
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