आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "نمک"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "نمک"
ग़ज़ल
आँखों में नमक है तो नज़र क्यूँ नहीं आता
पलकों पे गुहर हैं तो बिखर क्यूँ नहीं जाते
महबूब ख़िज़ां
ग़ज़ल
ज़ख़्म-ए-दिल बोले मिरे दिल के नमक-ख़्वारों से
लो भला कुछ तो मोहब्बत का मज़ा याद रहे
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
ग़ज़ल
ये जो भीड़ है बे-हालों की दौड़ है चंद निवालों की
नान-ओ-नमक का बोझ लिए जल्दी से घर जाने का ग़म