आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "وحشی_مزاج"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "وحشی_مزاج"
ग़ज़ल
किस तरफ़ जाता रहा क्या जाने वो वहशी-मिज़ाज
ढूँडते फिरते हैं हम और 'मुसहफ़ी' मिलता नहीं
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
ग़ज़ल
कुछ तो पहले से दिल-ए-बेताब था वहशी-मिज़ाज
बे-तिरे दिन रात घबराता है तन्हा और भी
मुंशी अमीरुल्लाह तस्लीम
ग़ज़ल
दिल-ए-हज़ीं को अलम में क़रार भी तो नहीं
मिज़ाज-ए-यार पे कुछ इख़्तियार भी तो नहीं
साक़िब अज़ीमाबादी
ग़ज़ल
जब यार ने उठा कर ज़ुल्फ़ों के बाल बाँधे
तब मैं ने अपने दिल में लाखों ख़याल बाँधे