आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "پارا"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "پارا"
ग़ज़ल
फ़ना बुलंदशहरी
ग़ज़ल
लब पे पाबंदी तो है एहसास पर पहरा तो है
फिर भी अहल-ए-दिल को अहवाल-ए-बशर कहना तो है
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
हम भी लै को तेज़ करेंगे बूँदों की बौछार के साथ
पहला सावन झूलने वालो तुम भी पेंग बढ़ा देना