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ग़ज़ल
ब़ाँबी नागिन, छाया आँगन, घुंघरू छन-छन, आशा मन
आँखें काजल, पर्बत बादल, वो ज़ुल्फ़ें और ये बाज़ू
जावेद अख़्तर
ग़ज़ल
उस ने वा'दों के पर्बत से लटके होऊँ को सहारा दिया
उस की आवाज़ पर कोह-पैमाओं ने रस्सियाँ खोल दीं
तहज़ीब हाफ़ी
ग़ज़ल
जिस बादल की आस में जोड़े खोल लिए हैं सुहागन ने
वो पर्बत से टकरा कर बरस चुका सहराओं में
बशीर बद्र
ग़ज़ल
किस से किस का साथी छूटा किस का 'उमर' क्या हाल हुआ
पर्बत पर्बत वादी वादी रात मचा था शोर बहुत
उमर अंसारी
ग़ज़ल
मुझ से पूछो कैसे काटी मैं ने पर्बत जैसी रात
तुम ने तो गोदी में ले कर घंटों चूमा होगा चाँद
निदा फ़ाज़ली
ग़ज़ल
काट कर रातों के पर्बत अस्र-ए-नौ के तेशा-ज़न
जू-ए-शीर-ओ-चश्मा-ए-नूर-ए-सहर लाते रहे