आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "پنگھٹ"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "پنگھٹ"
ग़ज़ल
बस्ती से गुज़रें तो सारे पनघट की अल्हड़ अबलाएँ
इन की प्यास बुझाने को ख़ुद उमड-घुमड बादल बन जाएँ
अज़ीज़ हामिद मदनी
ग़ज़ल
बेकल उत्साही
ग़ज़ल
गागर के सागर में अक्सर डूबा है ग़ुरूर पहाड़ों का
तुम अपने दिल पर रहम करो पनघट पे अकेले जाओ नहीं
अख़्तर आज़ाद
ग़ज़ल
खोल के घूँघट के पट प्यार से करती है प्रणाम मुझे
भोर भए जब नीर भरन को वो पनघट पर आती है
नासिर शहज़ाद
ग़ज़ल
गाँव की धरती बाँझ हुई है पनघट सूना सूना है
पीपल के पत्तों में छुप कर ढूँढती है तन्हाई धूप