aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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नुजूमी ने ये की है पेश-गोईरुलाएगा मुक़द्दर देख लेना
पेश-गोई किसी अंजाम की जब मिलती नहींज़िंदगी कैसे तुझे वक़्फ़-ए-मोहब्बत कर दें
जब तलक 'शफ़क़' तेरे हैं ज़मीं पे शैदाईपेश-गोई है मेरी मर नहीं सकेगा तू
तेरा फ़िराक़ जान-ए-जाँ ऐश था क्या मिरे लिएया'नी तिरे फ़िराक़ में ख़ूब शराब पी गई
डोलती डगमगाती सी नावपी गई आ के सारे सागर को
आज बरसात पी गई उस कोजो था परवरदिगार मिट्टी का
कुछ दिनों मैं शराब पीता रहाऔर फिर पी गई शराब मुझे
प्यास धरती की बुझी है न बुझेपी गई सात समुंदर देखो
पी गई कितनों का लोहू तेरी यादग़म तिरा कितने कलेजे खा गया
पी गई ख़ूँ ज़मीं हज़ारों कीमुफ़्त फिर शोख़ी-ए-हिना क्या है
ये ज़िंदगी तो ख़ून-ए-जिगर पी गई तमामकैसे बुझाएँ सूखे समुंदर की प्यास हम
लहजे की आँच रूप की शबनम भी पी गई'अजमल' गुलों की छाँव में नमनाक हो गया
पानी तमाम सहन का जब पी गई ज़मीनकाग़ज़ के अब सफ़ीने उतारे गए तो क्या
रात की ज़हरीली नागिन पी गई जलते चराग़हम तो निकले थे अँधेरों को मिटाने के लिए
वो जो आँसुओं की ज़बान थी मुझे पी गईवो जो बेबसी के कलाम थे मुझे खा गए
तुम क्या पियोगे चूम के रख दो लबों से जाम'तसनीम' ये शराब है कितनों को पी गई
बन के मेरी हम-सफ़र उस ने ओढ़ी धूपरूप का अमृत पी गई नागिन जैसी धूप
ये माना रौशनी को पी गई ज़ुल्मत जिहालत कीमगर इस ज़र्रा-ए-ख़ाकी की ताबानी नहीं जाती
जब काट के दिल पैर गई होवे जिगर मेंफिर क्यूँ न छुरी आप की उस बात की ठहरे
अल्लह अल्लाह ये क्या ख़ूब नज़र-बाज़ी हैमय-कशी पी गई ख़ुद जाम जब उस ने देखा
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