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ग़ज़ल
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
सबा अफ़ग़ानी
ग़ज़ल
ज़ुबैर अली ताबिश
ग़ज़ल
फ़ना बुलंदशहरी
ग़ज़ल
अज्ञात
ग़ज़ल
ताबिश कानपुरी
ग़ज़ल
मय-ए-गुल-रंग लुटती यूँ दर-ए-मय-ख़ाना वा होता
न पीने की कमी होती न साक़ी से गिला होता
चकबस्त बृज नारायण
ग़ज़ल
धोता हूँ जब मैं पीने को उस सीम-तन के पाँव
रखता है ज़िद से खींच के बाहर लगन के पाँव
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
ज़ाहिद शराब पीने से काफ़िर हुआ मैं क्यूँ
क्या डेढ़ चुल्लू पानी में ईमान बह गया