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ग़ज़ल
तन्हाई के झूले खोलेंगे हर बात पुरानी भूलेंगे
आईने से तुम घबराओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा
सईद राही
ग़ज़ल
आज़ादी का दरवाज़ा भी ख़ुद ही खोलेंगी ज़ंजीरें
टुकड़े टुकड़े हो जाएँगी जब हद से बढ़ेंगी ज़ंजीरें
हफ़ीज़ मेरठी
ग़ज़ल
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
मिरे आँसू तिरी बेदाद का पर्दा न खोलेंगे
अबस ये बद-गुमानी है मैं कब रोया कहाँ रोया
वहशत रज़ा अली कलकत्वी
ग़ज़ल
दहन खोलेंगी अपनी सीपियाँ आहिस्ता आहिस्ता
गुज़र दरिया से ऐ अब्र-ए-रवाँ आहिस्ता आहिस्ता