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ग़ज़ल
सोते सोते चौंक पड़े हम ख़्वाब में हम ने क्या देखा
जो ख़ुद हम को ढूँड रहा हो ऐसा इक रस्ता देखा
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
ग़ज़ल
चाहते हैं कि हक़ीक़त में ढलें आप ही आप
जागती आँखों में हम ख़्वाब लिए फिरते हैं