aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "یادش_بخیر"
यादश-ब-ख़ैर है वही चेहरा ख़याल मेंसौ जन्नतें जवान हैं गोया ख़याल में
यादश-ब-ख़ैर जब वो तसव्वुर में आ गयाशे'र ओ शबाब ओ हुस्न का दरिया बहा गया
यादश-ब-ख़ैर साया-फ़गन घर ही और थालौटा मुसाफ़िरत से तो मंज़र ही और था
मेहरबानी आप की यादश-ब-ख़ैरवक़्त की मौजों में आलम बह गए
था आसमान पर जो सितारा नहीं रहायादश-ब-ख़ैर अब वो हमारा नहीं रहा
यादश-ब-ख़ैर 'नाज़िश'-ए-आवारा चल बसादीवाना दे गया है मगर धज्जियाँ मुझे
फिर उस के देखने को आँखें तरस रही हैंयादश ब-ख़ैर जिस ने दीवाना कर दिया है
सहर हुई कि वो यादश-ब-ख़ैर आता हैचराग़ हैं मिरी तुर्बत के झिलमिलाए हुए
यादश ब-ख़ैर याद-ए-ख़ुदा आ ही जाती हैअपनी तरफ़ से लाख भुलाया करे कोई
यकसाँ कभी किसी की न गुज़री ज़माने मेंयादश-ब-ख़ैर बैठे थे कल आशियाने में
एक नाला-ए-ख़मोश मुसलसल है और हमयादश-ब-ख़ैर ज़ब्त की ताक़त नहीं रही
यादश-ब-ख़ैर गाँव की तारों भरी वो रातइस रौशनी के शहर में अंजुम नहीं रहे
यादश-ब-ख़ैर दश्त में मानिंद-ए-अंकबूतदामन के अपने तार जो ख़ारों पे तन गया
बढ़ते चले हैं आए दिन अस्बाब-ए-इज़्तिराबयादश-ब-ख़ैर आज का वा'दा भी टल गया
सजा के रक्खा है दिल में बड़े क़रीने सेतुम्हारी याद को यादश-ब-ख़ैर मैं ने भी
यादश-ब-ख़ैर दिल नज़र आती है वो नज़रनोक-ए-ख़दंग में है निशाना छुपा हुआ
यादश-ब-ख़ैर ग़म से सुबुक-दोश कर गईवो ज़िंदगी जो बार रही 'उम्र भर मुझे
वो दिन गए कि दिल को हवस थी गुनाह कीयादश-ब-ख़ैर ज़िक्र अब उस का न कीजिए
इक शाम हम-सुख़न थे चमन में कली से हमयादश-ब-ख़ैर फिर न मिले ज़िंदगी से हम
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