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ग़ज़ल
ताराज-ए-शोख़ी-ए-निगह-ए-नाज़ हो गया
वो दिल कि दर्द-ए-इश्क़ की दुनिया कहें जिसे
सय्यद वाजिद अली फ़र्रुख़ बनारसी
ग़ज़ल
हम ऐसे सर-फिरों को काम क्या है मर्ग ओ हस्ती से
ये सब है शोख़ी-ए-नाज़-ए-मसीहाई समझते हैं
रविश सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
है नाज़-ए-मुफ़्लिसाँ ज़र-ए-अज़-दस्त-रफ़्ता पर
हूँ गुल-फ़रोश-ए-शोख़ी-ए-दाग़-ए-कोहन हुनूज़
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
तराज़-ए-शोख़ी-ए-पा है ग्याह-ए-सब्ज़ की माँग
ख़िराम-ए-नाज़ का अंदाज़ आब-जू माँगे
गौहर होशियारपुरी
ग़ज़ल
न ये शोख़ी न ये वहशत न ये ग़म्ज़ा न ये नाज़
क्या ग़ज़ालान-ए-हरम करते तिरी ख़ू पैदा
मुंशी बनवारी लाल शोला
ग़ज़ल
हम कहाँ बज़्म-ए-गह-ए-नाज़ कहाँ फिर ये ग़ज़ल
अर्ज़-ए-अहवाल-ओ-शिकायात चली जाती है
सज्जाद बाक़र रिज़वी
ग़ज़ल
कुछ इशारे हैं उधर शोख़ी पिन्हाँ के 'फ़िराक़'
है सुकूत-ए-निगहा-ए-नाज़ सुख़न-साज़ जुदा
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
लज़्ज़त-ए-ईजाद-ए-नाज़ अफ़सून-ए-अर्ज़-ज़ौक़-ए-क़त्ल
ना'ल आतिश में है तेग़-ए-यार से नख़चीर का
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
जिस ने चूमा वक़्त-ए-पामाली क़ुदूम-ए-नाज़ को
ख़ून-ए-दिल बा-शोख़ी-ए-रंग-ए-हिना थी मैं न था
जमीला ख़ुदा बख़्श
ग़ज़ल
नज़र ख़मोश हुई अर्ज़-ए-ना-तमाम के बा'द
कुछ और कह न सके अश्क-ए-बे-कलाम के बा'द