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ग़ज़ल
अल-मदद मौज-ए-तलातुम अल-मदद दरिया-ए-इश्क़
कश्ती-ए-दिल किस तरफ़ जाए कहीं साहिल नहीं
रियाज़ ग़ाज़ीपुरी
ग़ज़ल
अल-मदद ऐ जज़्ब-ए-कामिल अल-मदद ऐ ख़िज़्र-ए-शौक़
खेंचता है राह-ए-का'बा में भी बुत-ख़ाना मुझे
मुज़तर मुज़फ़्फ़रपूरी
ग़ज़ल
हाथ बढ़ते हैं गरेबाँ की तरफ़ पाँव निकाल
अल-मदद जोश-ए-जुनूँ सब्ज़ है सहरा कैसा
शाह अकबर दानापुरी
ग़ज़ल
बे-ख़ुदी में डबडबा आए हैं आँसू आँख में
अल-मदद ऐ ज़ब्त छलका चाहता है जाम-ए-इश्क़
मुंशी नौबत राय नज़र लखनवी
ग़ज़ल
अल-मदद जोश-ए-जुनूँ जज़्बा-ए-वहशत फ़रियाद
मुझ से अब ख़्वाब-ए-परेशाँ नहीं देखा जाता
सूफ़ी ज़मज़म बिजनोरी
ग़ज़ल
अल-मदद ऐ मर्ग राज़-ए-ग़म हुआ जाता है फ़ाश
दिल को थामें दीदा-ए-तर को सँभालें क्या करें
रशीद शाहजहाँपुरी
ग़ज़ल
बह चला है अश्क-ए-हसरत अल-मदद ऐ बर्क़-ए-यास
ये भी इक दाना है मेरे ख़िर्मन-ए-बर्बाद का
हफ़ीज़ जालंधरी
ग़ज़ल
ऐ सब्र-ए-रफ़्ता आशिक़-ए-नाशाद अल-मदद
शब-हा-ए-हिज्र में कोई ग़म-ख़्वार भी नहीं