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ग़ज़ल
आग़ाज़-ए-सब्ज़ा से है जो रुख़्सार पर ग़ुबार
अगले बरस इसे ख़त-ए-गुलज़ार देखना
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
जब कभी छिड़ता है ज़िक्र-ए-रस्म-ओ-राह-ए-आशिक़ी
लोग लेते हैं अदब से तेरे दीवाने का नाम
अनजुम अब्बासी
ग़ज़ल
ज़रा देखना कि वो कौन है पस-ए-रम्ज़-ए-वहशत-ए-आशिक़ी
भला किस ने हम को शिकस्त दी कभी पहले ऐसा हुआ नहीं
अहमद हमेश
ग़ज़ल
नशात-ए-बे-पनाह-ए-आशिक़ी है मस्त-कामी से
किसी का मंज़िल-ए-इरफ़ाँ पे पुर-असरार हो जाना
सय्यद नवाब हैदर नक़वी राही
ग़ज़ल
कर रहा हूँ दोस्तों के ज़ो'म पर तर्क-ए-वतन
शायद अब आग़ाज़-ए-दौर-ए-गर्दिश-ए-अय्याम है