आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "आपका"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "आपका"
ग़ज़ल
लगा हूँ मैं 'तलब' इस सच को झुटलाने में बरसों से
मैं कल आक़ा था जिस का अब मिरे बेटे की दासी है
ख़ुर्शीद तलब
ग़ज़ल
परदेसी सूनी आँखों में शो'ले से लहराते हैं
भाबी की छेड़ों सा बादल आपा की चुटकी सा चाँद
निदा फ़ाज़ली
ग़ज़ल
यहाँ 'अयाज़' है आक़ा ग़ुलाम है 'महमूद'
'जलील' क्या मैं कहूँ तुम से कारख़ाना-ए-इश्क़
जलील मानिकपूरी
ग़ज़ल
आँखों को इंतिशार है दिल बे-क़रार है
ऐ आने वाले आक़ा तिरा इंतिज़ार है