आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "आपा"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "आपा"
ग़ज़ल
परदेसी सूनी आँखों में शो'ले से लहराते हैं
भाबी की छेड़ों सा बादल आपा की चुटकी सा चाँद
निदा फ़ाज़ली
ग़ज़ल
हुई इस दौर में मंसूब मुझ से बादा-आशामी
फिर आया वो ज़माना जो जहाँ में जाम-ए-जम निकले
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
जीवन की इस आपा-धापी में जो पीछे छूट गए
जाने अब किस हाल में होंगे वो क़िस्मत के मारे ख़्वाब
अखिलेश तिवारी
ग़ज़ल
रोज़ की आपा-धापी से कुछ वक़्त चुरा कर लाए हैं
यार ज़रा हम दोनों की इक अच्छी सी तस्वीर निकाल