aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "उजरत"
क्या फिर यूँही दी जाएगी उजरत पे गवाहीक्या तेरी सज़ा अब के भी पाएगा कोई और
इक पतिंगा उजरत थीछिपकिली की जुम्बिश की
उजरत-ए-इश्क़ वफ़ा है तो हम ऐसे मज़दूरकुछ भी कर लेंगे ये मेहनत नहीं होगी हम से
हमें इस आलम-ए-हिज्राँ में भी रुक रुक के चलना हैउन्हें जाने दिया जाए जिन्हें उजलत ज़ियादा है
मिरी वफ़ाओं की उजरत तुम्हारी जान में हैमिरे हिसाब से ये ख़ूँ-बहा ज़ियादा है
ता-उम्र वही कार-ए-ज़ियाँ इश्क़ रहा यादहालाँकि ये मालूम था उजरत न मिलेगी
सारे क़र्ज़ चुका देने कीकभी कभी उजलत होती है
दिल कभी ख़्वाब के पीछे कभी दुनिया की तरफ़एक ने अज्र दिया एक ने उजरत नहीं दी
पराई आग को घर में उठा के ले आयाये काम दिल ने बग़ैर उजरत ओ ख़सारा किया
तुझे दिल की इस नौकरी ने दिया क्याफ़क़त दर्द जा ऐसी उजरत पे ला'नत
ये तो मालूम है मरने पे मिलेगी उजरतकार-ए-फ़नकार है तस्वीर बनाते रहना
ख़ाक छानी न किसी दश्त में वहशत की हैमैं ने इक शख़्स से उजरत पे मोहब्बत की है
इश्क़ तू आज भी है किस के लहू से सरसब्ज़किस मुहिम के लिए हम ने तुझे उजरत नहीं दी
दे न दे काम की उजरत ये है मर्ज़ी उस कीपेशा-ए-इश्क़ में हड़ताल नहीं कर सकते
काटता हूँ पहाड़ से दिन रातमसअला इश्क़ है कि उजरत है
ऐश बेटे की कमाई से बहू करती हैमाँ को अब दूध की उजरत भी नहीं मिलती है
ज़ोहद-ए-ज़ाहिद ला-हासिल हैबेगारी को उजरत कैसी
जान हम कार-ए-मोहब्बत का सिला चाहते थेदिल-ए-सादा कोई मज़दूर है उजरत कैसी
वो एक ख़्वाब जो देखा गया था उजलत मेंउसी का कर्ब समेटा है आज फ़ुर्सत में
नाज़-बरदारी की उजरत कोई ठहराता नहींदेने वाले दे दिया करते हैं मेहनत देख कर
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