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ग़ज़ल
उरूस-ए-जाँ नया पैराहन-ए-हस्ती बदलती है
फ़क़त तम्हीद आने की है दुनिया से गुज़र जाना
चकबस्त बृज नारायण
ग़ज़ल
ख़ुद इश्क़ क़ुर्ब-ए-जिस्म भी है क़ुर्ब-ए-जाँ के साथ
हम दूर ही से उन को पुकार आए ये नहीं
जाँ निसार अख़्तर
ग़ज़ल
हमें दा'वा था देखेंगे वो क्यूँकर याद आते हैं
रग-ए-जाँ बन गए हैं अब फ़ुज़ूँ-तर याद आते हैं
ए. डी. अज़हर
ग़ज़ल
नरेश एम. ए
ग़ज़ल
उफ़ ये तलाश-ए-हुस्न-ओ-हक़ीक़त किस जा ठहरें जाएँ कहाँ
सेहन-ए-चमन में फूल खिले हैं सहरा में दीवाने हैं
इब्न-ए-सफ़ी
ग़ज़ल
पिछली रात का सन्नाटा कहता है अब क्या आएँगे
अक़्ल ये कहती है सो जाओ दिल कहता है एक न मान
इब्न-ए-सफ़ी
ग़ज़ल
ख़ुशियाँ जा बैठीं कहीं ऊँची सी इक टहनी पर
दिल के बहलाने को इक लफ़्ज़-ए-क़ज़ा रक्खा है