aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "एहतिज़ाज़"
रोना इलाज-ए-ज़ुल्मत-ए-दुनिया नहीं तो क्याकम-अज़-कम एहतिजाज-ए-ख़ुदाई है रोइए
हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी होअगर न हो कहीं ऐसा तो एहतिजाज भी हो
काँटों से एहतिजाज किया है कुछ इस तरहगुलशन की डाल डाल पे हम रक़्स कर गए
सुनेगा कौन मगर एहतिजाज ख़ुश्बू काकि साँप ज़हर छिड़कता रहा चमेली पर
क्या मुझ में एहतिजाज की ताक़त नहीं रहीपीछे की सम्त किस लिए हटने लगा हूँ मैं
ये इंतिक़ाम है या एहतिजाज है क्या हैये लोग धूप में क्यूँ हैं शजर के होते हुए
ये हवा ये बर्ग-ए-गुल का एहतिज़ाज़आज मैं राज़-ए-मुसर्रत पा गया
तिरे ख़याल से रूह एहतिज़ाज़ करती हैब-जल्वा-रेज़ी-ए-बाद-ओ-ब-पर-फ़िशानी-ए-शमअ'
ये एहतिजाज समुंदर के दम को काफ़ी हैकिसी किनारे पे दो-चार प्यासे मर जाएँ
ये फ़ाएदा ज़रूर हुआ एहतिजाज सेजो ढो रहे थे हम को वो काँधे बदल गए
इस बात पर करूँगा मैं दिन रात एहतिजाजकिस जुर्म में ये ख़ाक का बिस्तर मिला मुझे
दावा-ए-ख़ूँ-बहा न तज़ल्लुम न एहतिजाजकिस बे-नवा-ए-वक़्त का 'इबरत' ये क़त्ल है
शम्ओं' की लवें हैं या ज़बानेंआँसू हैं कि एहतिजाज-ए-पैहम
ले रहा है दर्द अंगड़ाई उठा वो एहतिजाजज़ख़्म-ख़ुर्दा सब परिंदे पँख फैलाने लगे
चुप का ताला लगा के होंटों परकरता रहता है एहतिजाज कोई
वफ़ा के संग से टकरा के एहतिजाज-ए-अनासलीब-ए-लब पे सिसकने लगा दुआ बन कर
आगे तो ज़हर-ए-इश्क़ में सब ज़हर थे घुलेअब शाइरी की जान रग-ए-एहतिजाज है
ख़ुश न हो हम जो हो गए ख़ामोशसूरत-ए-एहतिजाज और है कुछ
न एहतिजाज न आवारगी में देख मुझेजो हो सके तो मिरी रौशनी में देख मुझे
शिकारियों से मिरे एहतिजाज में 'बाबर'दरख़्त आज भी शामिल थे हाथ उठाए हुए
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