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ग़ज़ल
आमिर अमीर
ग़ज़ल
वाए क़िस्मत पाँव की ऐ ज़ोफ़ कुछ चलती नहीं
कारवाँ अपना अभी तक पहली ही मंज़िल में है
बिस्मिल अज़ीमाबादी
ग़ज़ल
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
न हम होंगे न तुम होगे न दिल होगा मगर फिर भी
हज़ारों मंज़िलें होंगी हज़ारों कारवाँ होंगे