aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ख़ाना-ब-दोश"
मिरी जान-ए-ख़ाना-ब-दोश को वो सुकूँ मिला तिरे शहर सेकि मैं कूच करने के बा'द भी न बिछड़ सका तिरे शहर से
ख़ाना-ब-दोश रहने की आदत नहीं गईइंसाँ के दिल से ख़्वाहिश-ए-हिजरत नहीं गई
हम तो ख़ाना-ब-दोश हैं लोगोहम से मत पूछिए ठिकाने की
वही ख़ाना-ब-दोश उम्मीदेंवही बे-सब्र दिल की ख़ू है अभी
अब कहाँ वो ख़ाना-ब-दोशआसमाँ ब-सर हैं लोग
मैं हूँ ख़ाना-ब-दोश ऐ 'किशवर'ये तआ'रुफ़ है मुख़्तसर मेरा
पालकी भी मुझे ख़ुदा ने दीतू भी 'ताबाँ' रहा मैं ख़ाना-ब-दोश
फिर रहा हूँ अज़ल से ख़ाना-ब-दोशकिस बगूले की इंतिहा हूँ मैं
फिर रहे हैं वो हो के ख़ाना-ब-दोशवो जो मालिक मकान के निकले
तुम्हें पता नहीं ख़ाना-ब-दोश उम्मीदो?नया इलाक़ा सर-ए-जाँ बसा दिया गया है
कहाँ हैं अब वो मुसाफ़िर-नवाज़ बहुतेरेउठा के ले गए ख़ाना-ब-दोश डेरे तक
ख़ाना-ब-दोश रूह तो खंडर में क़ैद हैटूटे हुए मकान बहुत वक़्त हो गया
नसीब कैसे सँवारेंगे हम से ख़ाना-ब-दोशजिन्हों ने बाल भी अपने कभी सँवारे नहीं
ख़ाना-ब-दोश छोरी तकती है चोरी चोरीउस का तो आइना है कोरे घड़े का पानी
बड़ा गुमान है ख़ाना-ब-दोश लोगों कोमकान वालों का दा'वा है सर-पनाही का
तमाम 'उम्र भटकता रहा मैं ख़ाना-ब-दोशख़रीद भी न सका इक मकान क़िस्तों में
मैं एक ऐसा ही ख़ाना-ब-दोश हूँ 'साक़िब'जो अपने हाथ से अपना मकान खींचता है
मुझ को ख़ाना-ब-दोश कर के वोसब के दिल में बसा तो देते हैं
कोई हसीं नज़ारा नज़र तक पहुँच गयाख़ाना-ब-दोश जैसे कि घर तक पहुँच गया
आशियाने का बताएँ क्या पता ख़ाना-ब-दोशचार तिनके रख लिए जिस शाख़ पर घर हो गया
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