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ग़ज़ल
बुलबुल का उड़ाया दिल नाहक़ ये ख़ाम-ख़याली फूलों की
लेती है तलाशी बाद-ए-सबा अब डाली डाली फूलों की
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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बुलबुल का उड़ाया दिल नाहक़ ये ख़ाम-ख़याली फूलों की
लेती है तलाशी बाद-ए-सबा अब डाली डाली फूलों की