आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "ग़म्माज़ी"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "ग़म्माज़ी"
ग़ज़ल
की हक़ से फ़रिश्तों ने 'इक़बाल' की ग़म्माज़ी
गुस्ताख़ है करता है फ़ितरत की हिना-बंदी
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
मिरा इक इक नफ़स करता है ग़म्माज़ी मोहब्बत की
सुकूत-ए-मस्लहत से शान-ए-गोयाई नहीं जाती
ग़ुलामुल्लाह अफ़्सूँ भोपाली
ग़ज़ल
जहाँ रंगीनी-ए-हूर-ओ-तहूरा सर-बसर होगी
वहाँ ग़म्माज़ी-ए-ख़ुश्की-ए-ईमाँ कौन देखेगा
बिशन दयाल शाद देहलवी
ग़ज़ल
मुसलमाँ के लहू में है सलीक़ा दिल-नवाज़ी का
मुरव्वत हुस्न-ए-आलम-गीर है मर्दान-ए-ग़ाज़ी का
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
गर मोहब्बत है तो वो मुझ से फिरेगा न कभी
ग़म नहीं है मुझे ग़म्माज़ को भड़काने दो
मियाँ दाद ख़ां सय्याह
ग़ज़ल
नहीं मुझ से जब तअल्लुक़ तो ख़फ़ा ख़फ़ा से क्यूँ हैं
नहीं जब मिरी मोहब्बत तो ये कैसी बद-गुमानी
नज़ीर बनारसी
ग़ज़ल
ब-ज़ाहिर रहनुमा हैं और दिल में बद-गुमानी है
तिरे कूचे में जो जाता है आगे हम भी होते हैं
दाग़ देहलवी
ग़ज़ल
इश्क़ रुस्वा हो चला बे-कैफ़ सा बेज़ार सा
आज उस की नर्गिस-ए-ग़म्माज़ की बातें करो
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
देख लो अश्क-ए-तवातुर को न पूछो मिरा हाल
चुप रहो चुप रहो इस बज़्म में ग़म्माज़ आया