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ग़ज़ल
तमाम इल्म ज़ीस्त का गुज़िश्तगाँ से ही हुआ
अमल गुज़िश्ता दौर का मिसाल में मिला मुझे
मुनीर नियाज़ी
ग़ज़ल
अहद-ए-फ़ुर्सत में किसी यार-ए-गुज़िश्ता का ख़याल
जब भी आता है तो जैसे रग-ए-जाँ खेंचता है
अहमद फ़राज़
ग़ज़ल
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
अज़ीज़ नबील
ग़ज़ल
सुराग़ उम्र-ए-गुज़िश्ता का कीजिए गर 'ज़ौक़'
तमाम उम्र गुज़र जाए जुस्तुजू करते