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ग़ज़ल
बहज़ाद लखनवी
ग़ज़ल
नासिर काज़मी
ग़ज़ल
ये दिल बच कर ज़माने भर से चलना चाहे है लेकिन
जब अपनी राह चलता है अकेला होने लगता है
वसीम बरेलवी
ग़ज़ल
सर-ए-सहरा मुसाफ़िर को सितारा याद रहता है
मैं चलता हूँ मुझे चेहरा तुम्हारा याद रहता है