aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "छाएगी"
हर तरफ़ छाएगी वो ख़ामोशीअपनी आवाज़ से तू चौंकेगा
ज़ुल्फ़ों से जो उस की छाएगी रातचेहरे से अयाँ क़मर भी होगा
चैट में जब उदासी छाएगीमीम भेजेंगे हम फ़नी वाले
घटाएँ यास की छाएँगी छट भी जाएँगीहुजूम-ए-दर्द में क़ाबू हवास पर रखना
किसी फ़ुर्सत की शब दिल पर उदासी छाएगी औरकिसी मसरूफ़ दिन पर मुश्तमिल हो जाएगा ग़म
रात होने दो यहाँ पर बरहनाई छाएगीवो हवस में देखना हैवान होता जाएगा
छाएगी हश्र में जो घटा लुत्फ़-ए-आम कीरहमत करेगी ख़ुद ही गुनहगार की तलाश
छाएगी ख़ुशी इक दिन ग़म-ख़ाना-ए-हस्ती परग़म तो मिरी दुनिया में कुछ देर का मेहमाँ है
इक गर्द छाएगी तिरे मोमी दिमाग़ परथमने दे आँधियों को अभी खिड़कियाँ न खोल
कब हरी होगी तमन्नाओं की खेती या-रबछाएगी झूम के रहमत की घटा कौन से दिन
रक़्स-ए-फ़ुर्क़त मैं करूँगा तो किए जाऊँगाअब्र वहशत का जो छाएगा तो छा जाएगा
आइने से कब तलक तुम अपना दिल बहलाओगेछाएँगे जब जब अँधेरे ख़ुद को तन्हा पाओगे
छोटी छोटी ख़्वाहिशों का क़त्ल होते देख करउम्र का एहसास रुख़ पर गर्द बन के छाएगा
सावन की रुत आ पहुँची काले बादल छाएँगेकलियाँ रंग में भीगेंगी फूलों में रस आएँगे
अब्र छाएगा तो बरसात भी हो जाएगीदीद होगी तो मुलाक़ात भी हो जाएगी
शाम होते ही दिमाग़ों पे जुनूँ छाएगाकोई अफ़्वाह उड़ा देंगे तिरे शहर के लोग
उठा कर एक बार उन को लगा लो अपने होंटों सेछुएँगी आसमाँ को क़ीमतें उन आबगीनों की
जैसे चढ़ जाता है नशा 'बादल'ज़ेहन पर छाएँगे तुम्हारे ख़याल
ज़र भी ज़मीं भी नूर-ए-मोहम्मद भी है तिराइक साथ चल के देख ज़माने पे छाएगा
यादों के अब्र जब भी छाएँगे ज़ेहन-ओ-दिल परबे-साख़्ता झमाझम बहने लगेंगी आँखें
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