आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "छूना"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "छूना"
ग़ज़ल
ज़ख़्मों पर मरहम लगवाओ लेकिन उस के हाथों से
चारा-साज़ी एक तरफ़ है उस का छूना एक तरफ़
वरुन आनन्द
ग़ज़ल
देखना चाहूँ तो ख़ुश्बू, छूना चाहूँ तो हवा
मेरे दामन तक जो आए तू वो शीराज़ा नहीं
मुज़फ़्फ़र वारसी
ग़ज़ल
कुढ़न होती है कुछ यूँ नोच लूँ मैं जिस्म तक अपना
किसी इक शख़्स का छूना कभी इतना अखरता है