आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "जहेज़"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "जहेज़"
ग़ज़ल
बढ़ती हुई तकरार जहेज़ की और ग़ुर्बत का बोझ
अपने आप को आग लगा के फिर इक मर गई बेटी
समीना असलम समीना
ग़ज़ल
शादियाँ दुश्वार-तर करने लगी रस्म-ए-जहेज़
लब पे आसानी से आता ही नहीं दुख़्तर का नाम
बुलबुल काश्मीरी
ग़ज़ल
ज़हे वो दिल जो तमन्ना-ए-ताज़ा-तर में रहे
ख़ोशा वो उम्र जो ख़्वाबों ही में बहल जाए