आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "जीना"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "जीना"
ग़ज़ल
उबैदुल्लाह अलीम
ग़ज़ल
जीना वो क्या कि दिल में न हो तेरी आरज़ू
बाक़ी है मौत ही दिल-ए-बे-मुद्दआ के ब'अद
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "जीना"
जीना वो क्या कि दिल में न हो तेरी आरज़ू
बाक़ी है मौत ही दिल-ए-बे-मुद्दआ के ब'अद