आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "जौहरी"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "जौहरी"
ग़ज़ल
गुहर को जौहरी सर्राफ़ ज़र को देखते हैं
बशर के हैं जो मुबस्सिर बशर को देखते हैं
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
ग़ज़ल
'क़ासिर' ने तो देखा है अब तक फ़ाक़ों का रक़्स
जौहरी ताक़त क्या है जौहर-ए-'मीर' से पूछते हैं
ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
ग़ज़ल
मैं दयार-ए-क़ातिलाँ का एक तन्हा अजनबी
ढूँढने निकला हूँ ख़ुद अपने ही जैसा अजनबी
अल्लामा तालिब जौहरी
ग़ज़ल
है तसव्वुर बस-कि आँखों में ख़त-ए-रुख़्सार का
आइने की तरह जौहर-दार आँखें हो गईं