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ग़ज़ल
सच जहाँ पा-बस्ता मुल्ज़िम के कटहरे में मिले
उस अदालत में सुनेगा अद्ल की तफ़्सीर कौन
परवीन शाकिर
ग़ज़ल
दिखा के लम्हा-ए-ख़ाली का अक्स-ए-ला-तफ़सीर
ये मुझ में कौन है मुझ से फ़रार करते हुए
राजेन्द्र मनचंदा बानी
ग़ज़ल
जाने किस रंग में तफ़्सीर करें अहल-ए-हवस
मदह-ए-ज़ुल्फ़-ओ-लब-ओ-रुख़्सार करूँ या न करूँ
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
निगाह ओ दिल से अब तफ़सीर-ओ-शरह-ए-आरज़ू होगी
ज़बान ओ लब से तर्क-ए-इल्तिजा करने का वक़्त आया
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
खुल गया मुसहफ़-ए-रुख़्सार-ए-बुतान-ए-मग़रिब
हो गए शैख़ भी हाज़िर नई तफ़्सीर के साथ
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
'अशहर' बहुत सी पत्तियाँ शाख़ों से छिन गईं
तफ़्सीर क्या करें कि हवा तेज़ अब भी है
इक़बाल अशहर कुरैशी
ग़ज़ल
क़मर जलालवी
ग़ज़ल
है अपनी ज़िंदगी की ये तफ़्सीर-ए-मुख़्तसर
ग़म मुस्तक़िल मिला तो ख़ुशी आरिज़ी मिली
साहिर होशियारपुरी
ग़ज़ल
ढूँढ कुछ और ही इबलाग़ की सूरत ऐ 'साज़'
शरह ओ तफ़्सीर नहीं रम्ज़ ओ किनाया भी नहीं