आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "तल्ख़ी-ए-माहौल"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "तल्ख़ी-ए-माहौल"
ग़ज़ल
मुझ से पूछो मैं बताऊँ तल्ख़ी-ए-कैफ़-ओ-नशात
साज़-ए-ग़म पर अब तराने प्यार के गाता हूँ मैं
रियाज़ क़ासिद
ग़ज़ल
उसी मय-ख़्वार की अज़्मत है साक़ी की निगाहों में
जिसे 'ज़मज़म' गवारा तल्ख़ी-ए-काम-ओ-दहन भी है