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ग़ज़ल
कभी मज़दूर से पूछो तुम्हारा हाल कैसा है
कहेगा रह गया हूँ बस थकावट में तो ग़ुर्बत में
इरफान आबिदी मानटवी
ग़ज़ल
जी बहला लेते हैं सब ज़िक्र तेरा कर मिरे आगे
थकावट में सुकूँ देता बिछौना हो गया हूँ मैं
जय राज सिंह झाला
ग़ज़ल
तेरे रुख़ पर हैं थकावट के जो ये आसार से
क्या कोई लम्बा सफ़र कर के अभी लौटा है तू