आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "दिल-ए-ज़-कार-ए-जहाँ"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "दिल-ए-ज़-कार-ए-जहाँ"
ग़ज़ल
अजब पागल है दिल कार-ए-जहाँ बानी में रहता है
ख़ुदा जब देखता है ख़ुद भी हैरानी में रहता है
सिद्दीक़ मुजीबी
ग़ज़ल
नरेश एम. ए
ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
हैरत-ए-आइना तन्हा न यहाँ रक़्स में है
जाने क्या देख लिया दिल ने कि जाँ रक़्स में है