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ग़ज़ल
पार इस दुख-दर्द के दरिया को कर जाएँगे हम
हाँ मगर उस पल तिरी नज़रों में मर जाएँगे हम
पुष्पराज यादव
ग़ज़ल
दुख-दर्द लिया है ग़म-ए-'अय्याम लिया है
दिल दे के मोहब्बत में ये इन'आम लिया है